Friday, July 18, 2025
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Homeचालीसा॥ श्री ललिता त्रिपुरसुंदरी चालीसा ॥

॥ श्री ललिता त्रिपुरसुंदरी चालीसा ॥

॥ चौपाई ॥

जयति जयति जय ललिते माता।  तव गुण महिमा है विख्याता॥

तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी।  सुर नर मुनि तेरे पद सेवी॥

तू कल्याणी कष्ट निवारिणी।  तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी॥

मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी।  भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी॥

आदि शक्ति श्री विद्या रूपा।  चक्र स्वामिनी देह अनूपा॥

हृदय निवासिनी-भक्त तारिणी।  नाना कष्ट विपति दल हारिणी॥

दश विद्या है रुप तुम्हारा।  श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा॥

धूमा, बगला, भैरवी, तारा।  भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा॥

षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी।  ललितेशक्ति तुम्हारी संगी॥

ललिते तुम हो ज्योतित भाला।  भक्त जनों का काम संभाला॥

भारी संकट जब-जब आये।  उनसे तुमने भक्त बचाए॥

जिसने कृपा तुम्हारी पायी।  उसकी सब विधि से बन आयी॥

संकट दूर करो माँ भारी।  भक्त जनों को आस तुम्हारी॥

त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी।  जय जय जय शिव की महारानी॥

योग सिद्दि पावें सब योगी।  भोगें भोग महा सुख भोगी॥

कृपा तुम्हारी पाके माता।  जीवन सुखमय है बन जाता॥

दुखियों को तुमने अपनाया।  महा मूढ़ जो शरण न आया॥

तुमने जिसकी ओर निहारा।  मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा॥

आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी।  महाशक्ति जय जय, भय हारी॥

कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा।  लीला ललिते करें अनूपा॥

महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे।  त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे॥

महा महा-नन्दे कल्याणी।  मूकों को देती हो वाणी॥

इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी।  होता तब सेवा अनुरागी॥

जो ललिते तेरा गुण गावे।  उसे न कोई कष्ट सतावे॥

सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी।  तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी॥

आया माँ जो शरण तुम्हारी।  विपदा हरी उसी की सारी॥

नामा कर्षिणी, चिन्ता कर्षिणी।  सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी॥

महिमा तव सब जग विख्याता।  तुम हो दयामयी जग माता॥

सब सौभाग्य दायिनी ललिता।  तुम हो सुखदा करुणा कलिता॥

आनन्द, सुख, सम्पत्ति देती हो।  कष्ट भयानक हर लेती हो॥

मन से जो जन तुमको ध्यावे।  वह तुरन्त मन वांछित पावे॥

लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली।  तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली॥

मूलाधार, निवासिनी जय जय।  सहस्रार गामिनी माँ जय जय॥

छः चक्रों को भेदने वाली।  करती हो सबकी रखवाली॥

योगी, भोगी, क्रोधी, कामी।  सब हैं सेवक सब अनुगामी॥

सबको पार लगाती हो माँ।  सब पर दया दिखाती हो माँ॥

हेमावती, उमा, ब्रह्माणी।  भण्डासुर कि हृदय विदारिणी॥

सर्व विपति हर, सर्वाधारे।  तुमने कुटिल कुपंथी तारे॥

चन्द्र- धारिणी, नैमिश्वासिनी।  कृपा करो ललिते अधनाशिनी॥

भक्त जनों को दरस दिखाओ।  संशय भय सब शीघ्र मिटाओ॥

जो कोई पढ़े ललिता चालीसा।  होवे सुख आनन्द अधीसा॥

जिस पर कोई संकट आवे।  पाठ करे संकट मिट जावे॥

ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा।  पूर्ण मनोरथ होवे सारा॥

पुत्र-हीन संतति सुख पावे।  निर्धन धनी बने गुण गावे॥

इस विधि पाठ करे जो कोई।  दुःख बन्धन छूटे सुख होई॥

जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें।  पढ़ें चालीसा तो सुख पावें॥

सबसे लघु उपाय यह जानो।  सिद्ध होय मन में जो ठानो॥

ललिता करे हृदय में बासा।  सिद्दि देत ललिता चालीसा॥

॥ दोहा ॥

ललिते माँ अब कृपा करो,  सिद्ध करो सब काम।

श्रद्धा से सिर नाय करे,  करते तुम्हें प्रणाम॥

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