
॥ श्री दुर्गा सप्तशती ॥
दुर्गा सप्तशती, जिसे देवी माहात्म्य या चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है, एक पवित्र हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जो माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर राक्षस पर विजय की कथा का वर्णन करता है। यह ग्रंथ मार्कण्डेय पुराण का एक भाग है, जिसे महर्षि मार्कण्डेय ने लिखा था।
इस ग्रंथ में “सप्तशती” अर्थात ७०० श्लोक होते हैं और इन्हीं श्लोकों के कारण इसे “दुर्गा सप्तशती” कहा जाता है। ये सात सौ श्लोक १३ अध्यायों में विभाजित हैं। धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार, इन ७०० श्लोकों के पहले और बाद में कुछ पूरक पाठ (न्यूनतम पाठ, कवच, कीलक, अर्गला आदि) जोड़े जाते हैं।
नवरात्रि के दौरान, देवी दुर्गा की आराधना के लिए दुर्गा सप्तशती का पारायण (अनुष्ठानिक पाठ) विशेष महत्व रखता है। इस पाठ के माध्यम से भक्तजन माँ दुर्गा से शक्ति, सुरक्षा और विजय की कामना करते हैं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ चंडी होम (चंडी यज्ञ) के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है। यह एक विशिष्ट और शक्तिशाली होम है, जो आरोग्य, शत्रु विजय और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता है। चंडी होम के दौरान दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का उच्चारण करते हुए ७०० आहुतियाँ (माँ दुर्गा को अग्नि के माध्यम से समर्पण) दी जाती हैं।
- सप्तश्लोकी दुर्गा
- दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र
- दुर्गा सप्तशती पाठ विधि
3.1. देवी कवचम्
3.2. अर्गला स्तोत्रम्
3.3. कीलकम्
3.4. वेदोक्तम् रात्रि सूक्तम्
3.5. तंत्रोक्तम् रात्रि सूक्तम्
3.6. श्री देवी अथर्वशीर्षम्
3.7. नवार्ण विधि
3.8. सप्तशती न्यासः - श्री दुर्गा सप्तशती
4.1. प्रथम अध्याय – मेधा ऋषि द्वारा राजा सुरथ और समाधि को भगवती की महिमा बताते हुए मधु-कैटभ वध का प्रसंग सुनाना
4.2. द्वितीय अध्याय – देवताओं के तेज से देवी का प्रादुर्भाव और महिषासुर की सेना का वध
4.3. तृतीय अध्याय – सेनापतियों सहित महिषासुर का वध
4.4. चतुर्थ अध्याय – इन्द्रादि देवताओं द्वारा देवी की स्तुति
4.5. पंचम अध्याय – देवताओं द्वारा देवी की स्तुति, चण्ड-मुण्ड के मुख से अम्बिका के रूप की प्रशंसा सुनकर शुम्भ द्वारा अपने पास दूत भेजना और दूत का निराश होकर लौटना
4.6. षष्ठ अध्याय – धूम्रलोचन वध
4.7. सप्तम अध्याय – चण्ड और मुण्ड का वध
4.8. अष्टम अध्याय – रक्तबीज वध
4.9. नवम अध्याय – निशुम्भ वध
4.10. दशम अध्याय – शुम्भ वध
4.11. एकादश अध्याय – देवताओं द्वारा देवी की स्तुति तथा देवी द्वारा देवताओं को वरदान देना
4.12. द्वादश अध्याय – देवी चरित्रों के पाठ का माहात्म्य
4.13. त्रयोदश अध्याय – सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान - उपसंहार
5.1. ऋग्वेदोक्तम् देवी सूक्तम्
5.2. तंत्रोक्तम् देवी सूक्तम्
5.3. प्रधानिकम् रहस्यम्
5.4. वैकृतिकम् रहस्यम्
5.5. मूर्ति रहस्यम् - क्षमा प्रार्थना
- श्री दुर्गा मानस पूजा
- दुर्गा द्वात्रिंश नाममाला
- देवी अपराध क्षमापण स्तोत्रम्
- सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम्
- सिद्ध संपुट मंत्र
- श्री देवीजी की आरती
- श्री अम्बाजी की आरती
- देवीमयी