Sunday, July 20, 2025

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आरती

श्री शिवशंकरजी की आरती

॥ श्री शिवशंकरजी की आरती ॥ हर हर हर महादेव!सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी।अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥ हर हर हर महादेव ! आदि, अनन्त, अनामय, अकल,...

॥ श्री बाँकेबिहारी की आरती ॥

॥ श्री बाँकेबिहारी की आरती ॥ श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ।कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥ मोर मुकुट प्रभु शीश...

॥ आरती श्री हनुमानजी ॥

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के...

Shri Devi Ji Ki Aarti

॥ श्रीदेवीजी की आरती ॥ जगजननी जय! जय!! (मा! जगजननी जय! जय!!)।भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय! जय!!॥ जगजननी जय जय... तू ही सत-चित-सुखमय शुद्ध ब्रह्मरूपा।सत्य सनातन सुन्दर पर-शिव...

🔱 दुर्गा माता की आरती 🔱 श्री अम्बा जी की आरती 🔱

***** जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री ॥ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी... मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद...

॥ आरती श्री सत्यनारायण जी ॥

***** जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा। सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥ जय लक्ष्मीरमणा। रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥ जय लक्ष्मीरमणा। प्रगट भये कलि कारण द्विज को...

॥ शिवजी की आरती ॥

***** ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुराननपञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति...

॥ आरती श्री मंगलाचरण ॥

***** कर्पूरगौर करूणावतारं, संसार सारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा वसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानी सहितं नमामि ॥ गजाननं भूतगणादिसेवितं, कपित्थजम्बूफल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोकविनाशकारकं, नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।। नीलाम्बुज श्यामलकोमलांग, सीतासमारोपितवाम भागम्। पाणौ महासायक-चारूचापं, नमामि...

॥ श्री रामचन्द्र जी की आरती ॥

***** श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम्। नव कंज लोचन, कंज मुख कर कंज पद कंजारुणम् ॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील...

॥ श्री कुंजबिहारी जी की आरती ॥

आरती कुंजबिहारी की… श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की गले में वैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला । श्रवन में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ॥ गगन...

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