Thursday, September 4, 2025
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: अष्टमी‑नवमी पूजा का पावन सार

गुप्त नवरात्रि, जिसे ‘आषाढ़ गुप्त नवरात्रि’ भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक गूढ़ और स्वच्छंद रूप से पूजा जाता पर्व है। यह मुख्यतः तंत्र साधना और आंतरिक आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण होता है।

📅 तिथियाँ एवं समय

  • गुप्त नवरात्रि की शुरुआत – 26 जून 2025 (गुरुवार) से 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार) तक 
  • अष्टमी तिथि – 3 जुलाई 2025 (गुरुवार)
  • नवमी तिथि – 4 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
  • नोट: ये दिन माँ दुर्गा की अष्टमी‑नवमी पूजा के रूप में मनाए जाते हैं, और इनका फल नौ दिन के व्रत के बराबर माना जाता है ।

🕰️ शुभ मुहूर्त

  • अष्टमी (3 जुलाई):
    • सूर्योदय: लगभग 05:28
    • राहुकाल: 02:10‑03:54
    • Sandhi Puja का समय: लगभग 1:42 PM–2:30 PM
  • नवमी (4 जुलाई):
    • सूर्योदय: 05:28
    • राहुकाल: सुबह 10:41–12:26 (स्थानानुसार दीपांजलि समय में थोड़ा भिन्न हो सकता है)
  • (नोट: समय स्थानीय अनुसार थोड़ा बदल सकता है)

🙏 पूजा-विधि 📿

अष्टमी की पूजा:

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पीले/लाल वस्त्र धारण करें।
  • माँ दुर्गा को लाल कपड़ा, फल, फूल, मिठाई, श्रृंगार अर्पित करें।
  • दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ करें।
  • संभव हो तो Sandhi Puja (1:42 PM–2:30 PM) में विशेष हवन करें।
  • कन्या पूजन तथा कलश विसर्जन करें।

नवमी की पूजा:

  • सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा करें।
  • कन्याओं को भोजन–उपहार देकर दान करें (गुप्त रूप से भी करें)।

🧘‍♀️ तांत्रिक उपाय एवं महत्व

  • अष्टमी पर महाकाली साधना (कालिका मंत्रों के साथ):
    “ॐ क्रीं कालिकायै नमः…”

    नवमी पर त्रिपुरसुंदरी या श्रीविद्या साधना:
    “ॐ ऐं क्लीं सौः श्रीं त्रिपुरसुन्दर्यै नमः”
  • गुप्त दान: काले चने/कपड़े/तेल आदि का दान
  • मौन व्रत, कम बोलना, रात में जप एवं ध्यान।

✨ आध्यात्मिक उपयोग

गुप्त नवरात्रि के समय नियमित साधना से माना जाता है कि इससे:

  • नकारात्मक शक्तियाँ और बाधाएं दूर होती हैं,
  • मनोकामनाओं की पूर्ति होती है,
  • आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
  • आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, विशेष रूप से अष्टमी एवं नवमी तिथियाँ (3–4 जुलाई 2025), अपने गहन आध्यात्मिक महत्व के कारण विशेष मानी जाती हैं। यदि आप पूर्ण नौ दिन व्रत नहीं रख सकते, तो अष्टमी‑नवमी पर मन, वाणी और कर्म से श्रद्धा के साथ पूजा करने से भी देवी की अनुकम्पा प्राप्त होती है।

गहराई से साधना, विधिपूर्वक पूजा और गुप्त दान से इस पर्व का सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करें और माँ दुर्गा की कृपा पाएं।

📝 अतिरिक्त सुझाव

  • पूजा स्थल स्वच्छ व पवित्र रखें।
  • वैदिक मंत्र, हवन जलकरण सुनिश्चित करें।
  • पूजा के बाद सदैव प्रसाद बाँटें एवं कन्याओं का सम्मान करें।

भोजन सरल एवं सात्विक रखें।

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