Monday, July 21, 2025
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Homeआरती॥ माँ काली की आरती ॥

॥ माँ काली की आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,

तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

माता तेरे भक्त जनो पर भीर पड़ी है भारी।

दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी॥

सौ-सौ सिहों से है बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली,

दुखियों के दुखड़े निवारती।

माँ-बेटे का है इस जग मेंबड़ा ही निर्मल नाता।

पूत-कपूत सुने हैपर ना माता सुनी कुमाता॥

सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,

दुखियों के दुखड़े निवारती।

नहीं मांगते धन और दौलत,न चांदी न सोना।

हम तो मांगें माँ तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥

सबकी बिगड़ी बनाने वाली,लाज बचाने वाली,

सतियों के सत को संवारती।

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।

वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥

माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,

भक्तों के कारज तू ही सारती।

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