Saturday, July 19, 2025
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|| माँ कामाख्या देवी की आरती ||

आरती कामाक्षा देवी की ।
जगत् उधारक सुर सेवी की ॥

गावत वेद पुरान कहानी ।
योनिरुप तुम हो महारानी ॥
सुर ब्रह्मादिक आदि बखानी ।
लहे दरस सब सुख लेवी की ॥

दक्ष सुता जगदम्ब भवानी ।

सदा शंभु अर्धंग विराजिनी ।
सकल जगत् को तारन करनी ।
जै हो मातु सिद्धि देवी की ॥

तीन नयन कर डमरु विराजे ।
टीको गोरोचन को साजे ।
तीनों लोक रुप से लाजे ।
जै हो मातु ! लोक सेवी की ॥

रक्त पुष्प कंठन वनमाला ।
केहरि वाहन खंग विशाला ।
मातु करे भक्तन प्रतिपाला ।

सकल असुर जीवन लेवी की ॥

कहैं गोपाल मातु बलिहारी ।
जाने नहिं महिमा त्रिपुरारी ।
सब सत होय जो कह्यो विचारी ।
जै जै सबहिं करत देवी की ॥

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