Monday, July 21, 2025
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|| माँ दुर्गा आरती ||

जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति।
तुमको निसदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री।।

मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दौड़ नैना चंद्रबदन नीको।।

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजे।।

केहरी वाहन राजत खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुखहारी।।

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति।।

शुभ्र निशुंभ बिदारे महिषासुर घाती।
धूम विलोचन नैना निसिदिन मदमाती।।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंग अरु बाजत डमरू।।

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी।।

कनक थाल विराजत अगर कपूर बाती।
श्री माताकैपु में राजत कोटि रतन ज्योति।।

श्री अंबे जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावे।।

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