एक समय की बात है वृंदावन में एक छोटे से गाँव में एक सीधा-सादा किसान रहता था। जिसका नाम मधुर था। वह पढ़ा-लिखा नहीं था, न उसे वेद-शास्त्रों का ज्ञान था, और न वह कोई मंत्र या पूजा इत्यादि करना जानता था। परंतु उसमें एक चीज विशेष थी— निष्कलंक प्रेम और भक्ति। वह भगवान के लिए पूर्ण समर्पित था।
वह प्रतिदिन सुबह उठकर मंदिर जाता और हाथ जोड़कर बस एक ही बात श्री कृष्ण से कहता, “हे कन्हैया, मैं आ गया!” न आरती न पूजा, न फूल, न दीपक… बस यह एक प्रेमभरी पुकार। मंदिर के पुजारी और अन्य लोग अक्सर उसे देखकर मुस्कराते, पर वह अडिग था — यही वह ईश्वर से प्रतिदिन वार्तालाप करता था।
किंतु एक दिन ऐसा आया कि किसान बहुत बीमार हो गया और मंदिर नहीं जा सका। उस दिन मंदिर के पुजारी ने देखा कि मंदिर की घंटी अपने आप बज रही है, बिना किसी के स्पर्श किए। यह नजारा देखकर सभी आसपास के लोग हैरान रह गए और बस घंटे की ओर देखते रह गए।
मंदिर का पुजारी उस घटना के बाद से बड़ी गहरी सोच में था और जब वह अपने घर गया तो बस उसी दृश्य के बारे में सोचता रहा और उसी रात पुजारी को स्वप्न आया, जिसमें श्री कृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और मुस्कराकर कहा — “आज मेरा प्यारा भक्त मधुर नहीं आया, जो रोज़ सवेरे मुझे आवाज़ देता है — ‘हे कन्हैया, मैं आ गया!’ उसकी वही पुकार मुझे सबसे प्यारी लगती थी। उसे बहुत याद कर रहा हूं और उसकी याद में आज घंटी खुद बज रही है।”
यह जानकर पुजारी की आँखें भर आईं। पुजारी ने इस स्वप्न के बारे में आसपास के गांव के लोगों को भी बताया। उस दिन गाँव के सभी लोगों को अपनी गलती का एहसास हुआ कि वह उस गरीब सीधे-साधे किसान पर हंसा करते थे और यह भी समझ आ गया कि ईश्वर को मंत्रों या घंटो की पूजा से नहीं, बल्कि सच्चे प्रेम और सरलता से भी पाया जा सकता है। प्रेम में बोले गए दो शब्द भी प्रभु के लिए सबसे मधुर भजन बन जाते हैं।