गर्मी के दिन थे और एक युवक अपने परिवार के साथ पहली बार वृंदावन आया। बांके बिहारी का बहुत बड़ा भक्त था। वह दर्शन के लिए बांके बिहारी मंदिर पहुँचा। गर्मी के दिन थे और भीड़ भी ज्यादा थी। दर्शन करने के बाद वह जब मंदिर से बाहर निकला भीष्ण गर्मी की धूप से बेहोश होकर गिर पड़ा।
तभी अचानक एक 8-10 साल का एक सुंदर बालक आया, जिसके घुंघराले बाल और आंखें बड़ी-बड़ी थी। वह उस युवक के पास बैठा, उसके माथे पर जल छिड़का और उस युवक के सिर को अपने हाथों से सहलाया। और युवक से कहा, “डर मत, मैं हूं ना। अब सब ठीक हो जाएगा।”

जब वह युवक होश में आया, तो वह सुंदर बालक युवक की ओर मुस्कुराते हुए देखकर क्षण भर में गायब हो गया था। उसने आसपास लोगों से पूछा, लेकिन किसी ने ऐसे बालक को वहाँ नहीं देखा था।
तभी वह अंदर मंदिर में ईश्वर को धन्यवाद करने गया, तो मूर्ति देख कर काँप उठा — वही आँखें, वही मुस्कान, वही बालक… बांके बिहारी जी ही उसे बचाने आए थे।