Saturday, July 19, 2025
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Homeकहानियाँकृष्ण जी ने खुद दी चुनरी !

कृष्ण जी ने खुद दी चुनरी !

एक छोटे गाँव में गोपाल नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसकी पत्नी सुरभि और बेटी परी तीनों भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भक्त थे। परी हमेशा सोचती थी कि भगवान इतने सुंदर वस्त्र और गहने पहनते हैं, तो गरीबों को क्यों नहीं मिलते?

एक दिन परी मंदिर जाकर भगवान से मासूमियत से बोली – “कृष्णा जी, हमें भी अच्छे कपड़े और मिठाई चाहिए। आप तो रोज़ पहनते-खाते हो!”

माँ ने डांटा – “ऐसा भगवान से नहीं कहते!”

पर भगवान तो भाव के भूखे होते हैं…

कुछ दिन बाद मंदिर में एक अमीर सेठ ने भगवान के लिए रेशमी पोशाक और गहने चढ़ाए। उसी समय परी और उसकी माँ मंदिर में पहुँचीं। परी पोशाक देखकर बोल उठी – “माँ, मैं भी यही चुनरी पहनना चाहती हूँ!”

पुजारी को शक हुआ और उसने माँ-बेटी को डांटकर मंदिर से निकाल दिया।

गाँव वालों ने भी उन पर चोरी का इल्ज़ाम लगाया। परी उदास हो गई, बोली – “मैं अब कभी कुछ नहीं माँगूंगी भगवान से…”

रात भर तीनों भूखे सोए। अगले दिन मंदिर से बुलावा आया – चमत्कार हो गया था! भगवान की नयी पोशाकें बार-बार काली पड़ रही थीं। पुजारी घबरा गया।

जैसे ही परी मंदिर पहुँची और भगवान से माफ़ी माँगी – “मैंने लालच किया, मुझे माफ़ कर दो…”

तभी अचानक राधा रानी की चुनरी उड़कर परी के ऊपर आ गई – और वही चुनरी रेशमी हो गई!

सेठ और पुजारी नतमस्तक हो गए।
सेठ बोला – “छोटी सी बच्ची की भक्ति को हमने नहीं समझा। आज से इसका पूरा ध्यान मैं रखूंगा!”

अब परी का परिवार सम्मान और सच्चे सुख के साथ गाँव में जीने लगा। और सबको समझ में आ गया कि भगवान दिल के कपड़े देखते हैं, तन के नहीं।

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